भारत में क्रिकेट का क्रेज कुछ अलग ही लेवल का है.. मगर वो पुरुष क्रिकेट का। हमेशा पुरुष क्रिकेट और क्रिकेटर की बात बहुत ज्यादा की जाती है, लेकिन आज हम आपको भारतीय महिला क्रिकेटर श्रेयांका पाटिल की कहानी आपको बताने वाले है जोकि बहुत प्रेरणादायक है। तो चलिए जानते है..
सबसे पहले आपको बता दे की पाटिल महज 21 साल है की है उनका जन्म 31 जुलाई 2002 को बेंगलुरु में हुआ था। वो टीम इंडिया के ऑलराउंडर खिलाड़ी है, उन्हे पिछले साल WPL में RCB ने महज 10 लाख में खरीदा था, लेकिन इनका प्रदर्शन 10 लाख से कही बेहतर था। इनके बारे में बताया जाता है की इनके पिता जी बेंगलुरु में एक क्रिकेट अकादमी चलाते थे। आठ या नौ साल की उम्र में वह भी सप्ताहांत को अकादमी जाया करती थीं। वह कहती हैं, "तब मुझे नहीं पता था कि लड़कियां भी क्रिकेट खेलती हैं। उस समय मैंने क्रिकेट को ज़्यादा गंभीरता से नहीं लिया। शुरू में मेरे पिता ने मुझे कभी बल्लेबाज़ी या गेंदबाज़ी करने के लिए नेट्स में नहीं जाने दिया। वह मुझे कुछ कैच लेने या हैंगिंग बॉल के साथ खेलने के लिए कहते थे। धीरे-धीरे मुझे फ़ील्डिंग से प्यार होने लगा। जब मैं लगभग 11 साल कि थी, तो मेरे एक दोस्त के पिता ने मुझे बताया कि मुझे क्रिकेट को गंभीरता से लेना चाहिए। उनको लगा कि मेरे पास बहुत प्रतिभा है। खेलने के साथ-साथ, मैं बहुत सारा क्रिकेट देख भी रही थी। जब मैं 12 साल कि थी तब मुझे कर्नाटक अंडर-16 के लिए चुना गया। उस दिन मुझे एहसास हुआ कि यही मेरा जीवन है और मुझे क्रिकेट में कुछ बड़ा करना है।"
वह आगे कहती हैं, "मैंने तेज़ गेंदबाज़ के रूप में शुरुआत की, फिर विकेट-कीपिंग करने की कोशिश की, फिर लेग स्पिन, और आख़िरकार जब कुछ भी काम नहीं किया, तो मैंने ऑफ़ स्पिन चुना। स्पिन गेंदबाज़ी एक कला है। धीरे-धीरे मुझे ऑफ़ स्पिन से प्यार होने लगा। मैंने अपने रन अप और ऐक्शन पर काम किया। हालांकि मेरी कलाई की स्थिति और पकड़ समान रही। मुझे प्राकृतिक टर्न और उछाल मिल रहा था।"
श्रेयांका विराट कोहली के बारे में कहती हैं, "बचपन से मैं विराट कोहली को देखते आई हूं। मुझे उनकी आक्रमकता पसंद है। इसलिए मैं अपने खेल में वही लाने की कोशिश करती हूं। T20 में, किसी भी गेंदबाज के लिए विकेट लेना मुश्किल होता है। जब आप विकेट लेते हैं तो यह एक इनाम की तरह होता है, इसलिए आपको वो मनाना चाहिए।
"2013 में पहली बार जब मैं विराट कोहली से मिली, तो यह एक फ़ैनगर्ल की तरह था। मेरे लिए वह भगवान की तरह हैं। तब मुझे बस एक तस्वीर लेने का मौक़ा मिला। 2023 में जब मैं RCB टीम का हिस्सा थी, तो उनसे फिर से मिलना एक विशेष क्षण था। वह हमारी टीम से बात करने आए थे। हमने लगातार पांच मैच गंवाए थे। हम बहुत निराश थे। उनके शब्दों ने हम में विश्वास जगाया। उन्होंने RCB टीम के साथ अपनी यात्रा के बारे में बात की। उन्होंने हमें एक वक़्त में एक मैच के बारे में सोचने के लिए कहा। उन्होंने यह भी कहा कि RCB के लिए खेलना आसान नहीं है, बस अपना सर्वश्रेष्ठ खेलें और जब आप मैदान पर कदम रखें तो अपना 120% दें; यदि आप अपना 120% दे रहे हैं तब आपको कोई नहीं रोक सकता। वह सलाह का पालन करके मैं अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करती हूं।"